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लेखनी कहानी -02-Mar-2023

सच्चा साथी वो जो हर पल हमारे साथ कदम से कदम मिलाकर चले और हमेशा हमें सही मार्गदर्शन करे। लेकिन मैं ठहरा एक महानालायक इंसान इस लिए और मेरा सबसे अच्छा और सच्चा साथी भी मेरी तरह नालायक ही था। वो तो मेरा बचपन का दोस्त और साथ ही क्लासमेट सुखविंदर सिंह उर्फ सुख। दिपावली पर्व पर घर लौटते हुए बाजार से पटाखे लेकर बैग में डाल लिए। लेकिन निकालना भूल गया था। तो मैंने और मेरे अज़ीज़ दोस्त सुख ने क्लास रूम में ही सारे पटाखे फोड़ डाले। सांझा स्कूल था तो लड़के लड़कियां एक साथ ही पढ़ते थे। हम लड़कों में से तो किसी ने बात दबा ली लेकिन लड़कियों ने, जो बाहर दरी बिछाकर बैठी हुई थीं। उन्होंने पटाखों की आवाज सुनकर टीचर को शिकायत कर दी। हमें इस बात की भनक तक नहीं लगी कि टीचर हमारी क्लास की तरफ आ रही है। सुख मज़े से हाथ में आख़री पटाखा पकड़े हुए दरवाज़े की तरफ पीठ करके चलाने ही वाला था कि अचानक टीचर की आवाज सुनाई दी और उसके हाथ से पटाखा छूट कर नीचे गिर गया जिसे उसने पांव से धकेल कर टेबल के नीचे सरका दिया। अपनी तरफ से तो उसने बहुत होशियारी से काम किया था लेकिन गुरु आखिर गुरु ही होता है। जल्दबाजी में सुख चले हुए पटाखे छिपाना भूल गया था। और उन्हीं पटाखों की वजह से हमारी क्लास लग गई।


"किसकी इतनी हिम्मत हो गई जो क्लासरूम में पटाखे लेकर आ गया। चुपचाप वो सामने आ जाए नहीं तो पूरी क्लास को सज़ा मिलेगी।"उस समय जब टीचर ने पूछा तो सुख को छोड़ कर बाकी सभी ने सिर झुका लिया। टीचर ने उससे पूछा तो उसने बताया कि कुछ पटाखे मैं और कुछ पटाखे सतविंदर लेकर आया था।(बेडा ग़र्क) 

किसी ने सही ही कहा है कि दोस्त की पिटाई हो तो दुख होता है लेकिन वहीं अगर दोस्त साथ में पिटे तो अजीब सा सुकून मिलता है। यही सोचकर उसने हम दोनों का ही नाम लिया था।


समाप्त।


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4 Comments

Sant kumar sarthi

06-Mar-2023 12:37 PM

शानदार

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Punam verma

03-Mar-2023 08:59 AM

He he he very nice

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